आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना के साथ ‘Thamma’ जैसी धमाकेदार फिल्म,रिलीज

दिवाली के मौके पर सिनेमाघरों में धमाका करते हुए आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की हॉरर-कॉमेडी फिल्म ‘Thamma’ रिलीज हो चुकी है, जिसका दर्शको का बेसब्री से इंतजार ख़त्म हो चूका है। फिल्म में आयुष्मान की कॉमिक टाइमिंग और चार्म, रश्मिका की क्यूटनेस और नवाजुद्दीन सिद्दीकी का खरनाक और मजेदार अंदाज देखने मिल रहा है। कुल मिलाकर फिल्म पूरी तरह से एंटरटेनमेंट वाली है।

फिल्म का नाम थोड़ा अलग और अजीब लग सकता है, किन्तु इस दिवाली, चाहे पटाखे कम फूटे हों, सिनेमाघरों में हंसी और डर का डबल मजा जरूर मिलेगा। हमारी लोककथाओं में बेताल के कई किस्से फेमस हैं।खासतोर पर बेताल को खलनायक के रूप में देखा भी जाता है, लेकिन कई जगहों पर इसे अलग रूप में पूजा भी जाता है।

‘Thamma’ भी इसी पौराणिक कथा को मॉडर्न, मजेदार और हॉरर ट्विस्ट के साथ पेश की गई फिल्म है। फिल्म में बेताल को केवल विलेन के रूप में नहीं, बल्कि अलग नजरिए से दिखाया गया है। आयुष्मान का किरदार आलोक, जो पत्रकार से बेताल बनता है, और रहस्यमयी ताड़का (रश्मिका) की यह ‘ब्लडी लव स्टोरी’ दर्शकों को हंसाएगी, डराएगी और रोमांचित भी करती है।

कैसी है फिल्म की कहानी

‘Thamma’ में आयुष्मान खुराना, जो पेशे से पत्रकार हैं, अपने दोस्तों के साथ जंगल में एक एडवेंचर ट्रैकिंग पर जाते हैं। लेकिन जंगल में हमेशा कुछ न कुछ ‘जंगली’ होता रहता है। उनका एक भालू से सामना होता  है, तभी कहानी में एंट्री होती है रहस्यमयी ताड़का की। ताड़का का कबीला, जिसके सिर पर उनका पूर्वज और सरदार ‘थामा’ यानी यक्षासन का वर्चस्व है,वह इंसानों की बलि लेने की इच्छा रखता है।

ताड़का की दुनिया, जिसमें हर कोई खून पीकर जिन्दा रहता है, आलोक का आम लोगो से जीवन से पूरी तरह अलग है। कबीले वाले आलोक को थामा के पास फेंकते हैं, लेकिन ताड़का उसे शहर ले आती है। शहर में आलोक की माँ को ताड़का ‘संस्कारी बहू’ लगती है, जबकि पिता (परेश रावल) का शक्की मिज़ाज हर पल अलर्ट मोड में रहता है। कहानी में बड़ा ट्विस्ट तब आता है जब आलोक की जान बचाने के लिए ताड़का उसे अपनी ‘वैम्पायर कम्युनिटी’ का हिस्सा बना देती है। अब सोचिए, एक पत्रकार जो राजमा-चावल का शौकीन है, अचानक खून पीने वाला बन जाए, तो क्या होगा? इसका मजा देखने के लिए आपको थिएटर जाना ही पड़ेगा।

Thamma फिल्म कैसी है

शुरुआत में ‘थामा’ का ट्रेलर देखकर कई लोगों ने इसे मैडॉक की हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स की सबसे कमजोर कड़ी समझा था। लेकिन फिल्म इसे पूरी तरह पलट देती है। यह सिर्फ हॉरर-कॉमेडी नहीं, बल्कि हंसी, रोमांस, मिस्ट्री और माइथोलॉजी का बेहतरीन मिश्रण है। फिल्म का पहला हाफ थोड़ा धीमा है और कुछ कॉमेडी सीन फास्ट फॉरवर्ड किए जा सकते थे। परेश रावल के किरदार का इस्तेमाल भी थोड़ा और किया जा सकता था। लेकिन सेकेंड हाफ में कहानी तेजी पकड़ती है और क्लाइमेक्स में ऐसा सरप्राइज है कि आपके पैसे वसूल हो जाएंगे और सारी शिकायतें भूल जाएंगे।

Thamma ,निर्देशन और राइटिंग

‘थामा’ की असली ताकत इसकी कहानी और निर्देशन में है। कहानी नीरेन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और अरुण फलारा ने मिलकर बुनी है। उन्होंने देसी बेताल यानी ‘वैम्पायर’ के पुराने मिथकों को 21वीं सदी के ट्विस्ट के साथ पेश किया है। कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न्स हैं, जो दर्शकों को लगातार चौंकाते हैं।

निर्देशन की कमान आदित्य सरपोत्दार के हाथ में है, जिन्होंने पहले ‘मुंज्या’ जैसी सफल फिल्म बनाई थी। हॉरर और कॉमेडी का बैलेंस, कहानी को आगे बढ़ाने का तरीका और सीन की डिलीवरी सभी कमाल की हैं। फिल्म का VFX भी काफी प्रभावशाली है और कहीं भी सस्ते ग्राफिक्स का अहसास नहीं होता। म्यूजिक सचिन-जिगर का है, जिसमें आइटम नंबर और बैकग्राउंड स्कोर दोनों ही सीन के अनुसार परफेक्ट हैं।

कास्टिंग की बात करें तो आयुष्मान खुराना ने इस फिल्म से अपने करियर में एक नया मुकाम हासिल किया है। ‘ड्रीम गर्ल 2’ के बाद यह उनकी शानदार वापसी है। रश्मिका मंदाना ने ताड़का के किरदार में पूरी जान लगा दी है। दोनों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री कमाल की है।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी यक्षासन बनकर डराने के साथ-साथ कॉमिक टाइमिंग में भी अच्छे हैं। परेश रावल, फैजल मलिक और गीता अग्रवाल शर्मा जैसे अनुभवी कलाकारों ने अपने रोल को पूरी मेहनत और दिल से किया है। कुछ सीक्रेट एंट्रीज़ हैं, जिनका मजा दर्शकों को थिएटर में ही लेना चाहिए। कुल मिलाकर, हर कलाकार की एक्टिंग ने कहानी में चार चांद लगा दिए हैं।

देखनी चाहिए या नहीं 

सीधे शब्दों में बात करे तो फिल्म देखने से पहले यह मत सोचना कि आपको हॉलीवुड जैसा शाइनिंग पिशाच मिलेगा। वर्षों से हमने हॉलीवुड की ‘ट्विलाइट’ और ‘वैम्पायर डायरीज’ देखकर वैम्पायरों को हमेशा ग्लैमरस अंदाज में देखा है, लेकिन ‘थामा’ आपको दिखाती है कि असल में देसी बेताल कैसे होते हैं। अबकी बार हॉलीवुड से तुलना करने की आदत को भूल जाइए!

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